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अथ मंगलाचरणम्🌻

*मंगलाचरण* 1--   *कठोपनिषद्* ऊँ सह नाववतु ।सह नौ भुनक्तु ।सह वीर्य करवावहै।तेजस्वी नावधीतमस्तु ।मा विदिषावहै । ऊँ शान्तिः !शान्तिः!!शान्तिः!!! *(ऊँ शब्द परब्रहा का वाचक है ।अतएव मांगलिक है*) 2-- *अभिज्ञानशाकुन्तलम्* या सृष्टिः====वस्ताभिरिष्टाभीरीशः।।---स्रग्धरा छन्द ,, अनुप्रास एंव समासोक्ति अलंकार , *आशीर्वादात्मक* मंगलाचरण , अष्टमूर्ति भगवान *शिव* की स्तुति ।अष्टपदात्मिका पत्रलवी नामक नान्दी। 3- *कादम्बरी* रजोजुषे  जन्मनि सत्ववृत्तये स्थितौ प्रजानां प्रलये तमः स्पृशे। अजाय सर्गस्थितनाशहेतवे त्रयीमयाय त्रिगुणात्मने नमः।। *नमस्कारात्मक* मंगलाचरण , त्रिगुणमय परब्रहा की स्तुति , *वंशस्थ छन्द* 4- *किरातार्जुनीयम्* श्रियः कुरुणामधिपस्य=====दैतवने वनेचरः।। *वस्तुनिर्देशात्मक* मंगलाचरण लक्ष्मी की स्तुति , *वंशस्थ* छन्द। 5- *उत्तररामचरितम्*  इदं कविभ्यः पूर्वेभ्यो नमोवाकं प्रशास्महे।विन्देम देवतां वाचममृतामात्मनः।। *नमस्कारात्मक* मंगलाचरण स्तुति *सरस्वती(वाक् देवी)* द्वादश पद नान्दी का प्रयोग , *पथ्यावक्त्र* छन्द , *श्लेष* अलंकार। 6-- *शिशुपालवधम्* श्रियः पतिः===गर्भाड्गभु...